डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), BJP Majority Issue : लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सियासी उफान आया हुआ है। जी हाां, विपक्ष लगातार हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग यह हवाला देते हुए उठा रहा है कि यहां भाजपा सरकार अल्पमत में है। तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने के बाद प्रदेश में 88 विधायकों वाली विधानसभा में भाजपा के पास फिलहाल 43 विधायकों का ही समर्थन है।
ऐसे में भाजपा को सरकार चलाने के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। अभी इसी कड़ी में सामने आया है कि भाजपा ने सरकार बचाने के लिए नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा की सरकार में पूर्व सहयोगी जजपा के कई विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।
जजपा विधायकों की संख्या 10 है और इनमें से 6 विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं जिसमें नारनौंद से रामकुमार गौतम, बरवाला से जोगी राम सिहाग, गुहला से ईश्वर सिंह, नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, टोहाना से देवेंद्र बबली और शाहाबाद से पार्टी विधायक रामकरण काला शामिल हैं। हालांकि ईश्वर सिंह ने सक्रिय राजनीति से सन्यास की घोषणा कर दी है तो फिलहार रामकरण काला राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। उनके दोनों बेटों ने पिछले दिनों ही कांग्रेस ज्वाइन की थी।
वहीं दूसरी तरफ पार्टी में उचाना से विधायक व पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, बाढ़डा से उनकी मां व विधायक नैना चौटाला, जुलाना से अमरजीत ढांडा और उकलाना से अनूप धानक हैंं। माना जा रहा है कि पार्टी से नाराज चल रहे 6 विधायकों में से देवेंद्र बबली, रामनिवास सुरजा खेड़ा और जोगीराम सिहाग इस्तीफा देकर भाजपा सरकार को संकट की स्थिति से निकाल सकते हैं। वहीं इस्तीफा देने को लेकर देवेंद्र बबली की तरफ से कहा गया कि वो इस्तीफा नहीं देंगे।
हरियाणा में कुल 90 विधायक हैं। चूंकि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूर्व सीएम मनोहर लाल और भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में हरियाणा विधानसभा में कुल 88 विधायक हैं। अभी 2 सीटें खाली हैं। मौजूदा वक्त में 88 विधायकों में से भाजपा के पास 40 अपने, 2 निर्दलीय और 1 हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक को मिलाकर कुल 43 विधायक हैं।
वहीं विपक्ष के पास 30 कांग्रेस, 10 जजपा, 1 इनेलो और 4 निर्दलीय विधायक यानी कुल 45 विधायक हैं। जजपा के 6 विधायक अभी बागी हो चुके हैं। अगर उनमें से 3 विधायक इस्तीफा दे दें तो भाजपा के पास तो 43 विधायक ही रहेंगे लेकिन विपक्ष के पास 42 विधायक ही रह जाएंगे। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत हो जाएगा।
मालूम रहे कि 8 मई को 3 निर्दलीय विधायकों द्वारा भाजपा से समर्थन वापस लेने के बाद पार्टी के लिए परेशानी शुरू हुई है। 3 निर्दलीय विधायकों रणधीर गोलन, धर्मपाल गोंदर और सोमवीर सांगवान ने भाजपा से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को दे दिया है जोकि भाजपा सरकार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। चूंकि इसी महीने 25 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव भी हैं तो ऐसे में भाजपा के लिए परेशानी बढ़ गई है।
चूंकि चुनाव नजदीक हैं तो विपक्ष लगातार भाजपा को ये कहते हुए घेर रही है कि सरकार अल्पमत में है और भाजपा नेता जजपा के विधायकों को तोड़ने में लगे हैं। प्रदेश में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि चूंकि चुनाव में कम समय ही बचा है तो उनकी पार्टी सरकार बनाने की इच्छुक नहीं है।
वहीं दुष्यंत चौटाला के सरकार गिराने के कांग्रेस को समर्थन के मसले पर हुड्डा ने कहा कहना है कि जजपा ऐसा चाहती है तो पहले राज्यपाल को लिखकर दें। इस पूरे मामले के चलते विपक्षी कांग्रेस, जजपा और इनेलो लगातार सरकार पर सदन बुलाकर फ्लोर टेस्ट पास करने की मांग कर रहे हैं और भाजपा सरकार मसले का तोड़ निकालने में लगी है।
यह भी पढ़ें : BJP Review Meeting : हरियाणा में 2 सीटों पर भाजपा ने मानी कड़ी जंग, अन्य सीटों पर भी राह आसान नहीं
यह भी पढ़ें : Labor Honor Ceremony In Karnal : डबल इंजन सरकार ने श्रमिकों की सबसे ज्यादा चिंता की : नायब सिंह सैनी