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4000 Year Old Skeleton Was Found In Haryana : राखीगढ़ी गांव में मिला 4000 साल पुराना यह कंकाल, सिर्फ एग्रीकल्चर नहीं पुरातन कल्चर के लिए भी जाना जाता है हरियाणा
कंकाल किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का, इसके पास से रेत के बने 21 बर्तन भी मिले
India News (इंडिया न्यूज), 4000 Year Old Skeleton Was Found In Haryana : हरियाणा के राखीगढ़ी गांव में भारत पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई के दौरान एक कब्रिस्तान से हजारों साल पुराना कंकाल मिला है। एएसआई के मुताबिक, यह कंकाल 4000 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस कंकाल का ऊपरी हिस्सा (खोपड़ी) क्षतिग्रस्त है। 4000 साल पुराना यह कंकाल किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का है। इसके पास से रेत के बने 21 बर्तन भी मिले हैं। यह कंकाल राखीगढ़ी में टीला नंबर 7 से मिला है। राखीगढ़ी गांव को हड़प्पा कालीन सभ्यता की सबसे पुरानी साइट माना जाता है। सर्वेक्षण विभाग को टीला नंबर 7 कब्रिस्तान की साइट से टोटल 60 कंकाल मिले हैं। इससे पहले भी 36 कंकाल मिले थे। एएसआई के मुताबिक, कंकाल के डीएनए की जांच के लिए सैंपल लेकर भेजा जाएगा। भारतीय सर्वेक्षण विभाग की टीम को टीला नंबर 3 से एक सील भी मिली है।
सिर्फ एग्रीकल्चर नहीं पुरातन कल्चर के लिए भी जाना जाता है हरियाणा
गौरतलब है कि हरियाणा प्रदेश की पहचान सिर्फ एग्रीकल्चर से नहीं, बल्कि पुरातन कल्चर से भी होने लगी है। प्रदेश के कई गांवों में पुरानी मानव सभ्यताओं के सबूत अथवा अवशेष मिलना इस बात को सिद्ध करता है कि हरियाणा की धरती पर सिर्फ एग्रीकल्चर ही नहीं होता, बल्कि इस धरती के नीचे बरसों पुराने कल्चर कई राज लिए बैठे हैं। हरियाणा में ना केवल 6 हजार वर्ष पुरानी हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं, बल्कि भिरड़ाना में दुनिया की सबसे प्राचीन मानव सभ्यता होने के प्रमाण भी मिल चुके हैं। इसके बावजूद इतिहास की कई परतें अभी भी यहां की धरती के नीचे दबी हुई हैं जिन्हें खोज कर उनका विश्लेषण करना अभी बाकी है. इनके विश्लेषण से मानव विकास और उसके उद्भव के कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। अगर देर हुई तो इतिहास की यह निशानियां भू और खनन माफिया के लालच की भेंट चढ़ सकती है।
कंकाल का ऊपरी हिस्सा (खोपड़ी) क्षतिग्रस्त हालत में
वहीं सबसे पुरानी साइट राखीगढ़ी गांव में चल रही खुदाई के दौरान टीला नंबर सात पर एक कब्रिस्तान से मिले 4,000 साल से अधिक पुराना एक कंकाल के डीएनए की जांच के लिए सैंपल लेकर भेजा जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बताया कि कंकाल का ऊपरी हिस्सा (खोपड़ी) क्षतिग्रस्त हालत में है, जबकि बाकी कंकाल अच्छी स्थिति में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बताया कि कंकाल का ऊपरी हिस्सा (खोपड़ी) क्षतिग्रस्त हालत में है, जबकि बाकी कंकाल अच्छी स्थिति में है। खुदाई से पहले इस साइट पर वर्षों से खेती की जाती रही हैं।
4000 Year Old Skeleton Was Found In Haryana : रेत से बने 21 बर्तन भी बरामद किए
संभावना है कि कृषि कार्य के कारण खोपड़ी का हिस्सा खराब हो गया होगा। कंकाल किसी अधेड़ उम्र के आदमी का लग रहा है। संजय मंजुल ने बताया कि सिर के पीछे पड़े कंकाल के पास से रेत से बने 21 बर्तन भी बरामद किए गए हैं। इसके अलावा उत्खननकर्ताओं को टीला संख्या 3 से एक सील भी मिली है। टीला संख्या 7 कब्रिस्तान की साइट के रूप में जाना जाता है। खुदाई के दौरान साइट से उत्खननकर्ताओं को अब तक लगभग 60 कंकाल मिले हैं। इससे पहले 2015-16 और बाद के सीजन के दौरान 36 कंकाल मिले थे।
अब पर्यटक गांव के म्यूजियम में ही देख सकेंगे हड़प्पा कालीन सभ्यता के कंकाल
हड़प्पा कालीन सभ्यता के लिए जिले का गांव राखी गढ़ी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। खुदाई के दौरान टीले नंबर सात पर एक मानव का कंकाल मिला है। इस कंकाल को पूरी सावधानी के साथ निकालकर साइट की पास ही बन रहे म्यूजियम में रखने की योजना पर कार्य किया जा रहा है ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक कंकाल को देख सके। क्योंकि जो भी पर्यटक बाहर से आते हैं खुदाई के बाद देखने के लिए इन टीलों पर कुछ नहीं होता। इसलिए इस कंकाल को म्यूजियम में रखा जाएगा।
शंख की अलग-अलग प्रकार की चूड़ियां भी पाई गई
अगर कंकाल सही तरीके से संरक्षण करके रखा जाएगा तो पुरातत्व विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि अभी तक एक भी कंकाल पूरा नहीं उठाया गया है। जो कंकाल पहले उठाए गए हैं उन्हें दोबारा से रिसेट करके रखा गया है। इससे पहले सनौली में खुदाई के दौरान कंकाल उठाया गया था। राखी गढ़ी के टीले नंबर सात पर पहले भी खुदाई के दौरान काफी कंकाल मिले चुके हैं। उनके डीएनए से ही पता चला था कि यह करीब पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के कंकाल हैं। इस बार भी टीले सात पर खुदाई के दौरान एक कंकाल मिला है। कंकाल के पास शंख की अलग-अलग प्रकार की चूड़ियां भी पाई गई है।
कंकाल को लिफ्ट करना बड़ी चुनौती
पूरे कंकाल को टीले नंबर साल से उठाकर म्यूजियम में रखना पुरातत्व विभाग के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए लगातार पुरातत्व विभाग के अधिकारी अलग-अलग योजना पर कार्य करने मंथन में जुटे हुए हैं। अधिकारी कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है, क्योंकि सही तरीके से निकालकर म्यूजियम में रखेंगे तो यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की बड़ी सफलता होगी।
सल्तनत काल की हो सकती हैं मिलने वाली वस्तुएं
ऐसा ही एक प्राचीन अवशेष करनाल के जिला जोहड़ माजरा गांव में दबा मिला था, जहां करीब 50 एकड़ से अधिक भूमि में फैले टीले के नीचे से प्राचीन ईंटें, मानव कंकाल, मृदभांड, खिलौने और अन्य सामान निकले हैं। यह वस्तुएं किस काल की है यह तो पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन बुजुर्गों और इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के अनुसार यह वस्तुएं सल्तनत काल की हो सकती हैं जो 1200 से दो हजार साल तक जाता है। अगर पुरातत्व विभाग के दिशा निर्देशन में गहराई से इस साइट की खुदाई की जा रही, जिससे इतिहास का कई पन्ना खुल कर सामने आते नज़र आ रहे हैं।